By Ms. Shalini Singh

Tag the humanity only!!
Not the Gender
Tag the Characteristics only!!
She decided all-of-now
She would let no-one steal her thunder anymore!!
माहौल सा बन गया है
मखौल सा बन गया है
वक्तव्य है कि महिलाओं के पास अधिकार हैं.. अधिकार हैं!!
वक्तव्य हैं ये..!!
खुशी
दंश
या
चुभन.. हैं ये!!
बहुत ही कर्त्तव्यपरायण,प्रतिभाशाली,गुणवान हैं.. ये आजकल की लड़कियां।।
बहुत बहुत धन्यवाद।
क्या बात कर दी यार।
क्या बात कर दी सर जी।।
wow कितने अच्छे हैं आजकल सब।
कितना समझते आजकल सब।।
जमाना सच में बदल रहा है…..
कितना संघर्ष करा मांओं ने।
किंतु जाने क्यों चुभन-सी थी अचानक से कहे इन शब्दों में..
जाने क्यों दंश-सा था इन शब्दों को कहने में!!
खुशी जाहिर करके ऊपर उठाकर गढ्ढा खोदने की तैयारी थी..
जाने क्यों तीखेपन की आगोशी में लिपटे थे ये शब्द!!
गर..कतई यहीं वजह रही होगी इन अधिकारों से नवाजने की..
कि जो इतना याद करते हर छोटी-बड़ी बात पर इन अधिकारों की!!
खैर..!!
फिर इनकी फिकरमंदी.. गर गल्त इस्तेमाल हुआ इन अधिकारों का तो!!
अच्छा बताए ज़रा… कौन से अधिकारों और नियमों का उल्लंघन ना किया हो जो आपने!!
फिर क्यों ये १०९०, ११२ या पुरस्कार नवाज़ी की बात क्यों चुभती है आपको!!
महिला ना होने की
या
मर्द होकर भी इतना काम ना कर पाने की
या
ख़ुद के युगों से by default मिले अधिकारों के बाद भी हमारे अधिकारों की बात करने की!!
बातें करते ही क्यों हों अधिकारों, आज़ादी, बराबरी की!!
उंगली भर की भी गिनती न होने वाले आज़ादी, अधिकारों की बात करते हो..
भयभीत क्यों हों इन उंगली भर गिनती की आजादी से..
कुछ बदलो अपने माहौल व ज़माने को…
कि कम-ज्यादा मेहनत
सही-गलत दिशा की बातें हों बस
जेंडर की नहीं !!
कि गिनने की बातें ही न करो आप सब बस
कि सब कुछ इतना बराबर हो की बराबरी की बात ही ना हो बस!!
कौन कितना अच्छा, मेहनती, कर्त्तव्यपारायण
यही रहे बस बातों में।।
Tag the characteristics not the gender!!
Tag the humanity!!